A tribute to Bhagat Singh

A tribute to Bhagat Singh on the       occasion of his birth centenary.




वतन के रखवाले हैं हम

शेर -ए-जिग़र वाले हैं हम

मौत से हमें क्यों डर लगेगा

मौत को बाँहों में पाले हैं हम

जय हिन्द वन्दे मातरम







     तू ना रोना की तू है भगत सिंह की माँ
मरके भी लाल तेरा मरेगा नहीं
घोड़ी चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी
हस्के हर कोई फ़ासी चढ़ेगा नहीं


शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशां होगा



ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई, मगर वतन से

 खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,


नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं 

 कई, मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न 

नहीं होता










 मुझे तन चाहिए , ना धन चाहिए

बस अमन से भरा यह वतन चाहिए

जब तक जिन्दा रहूं,इस मातृ-भूमि के लिए

और जब

मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिये

* जय-हिन्द *


The historians’ neglect does not reflect the contemporary popular interest in Bhagat Singh’s mission or appreciation of his role in the freedom struggle. In fact, Bhagat Singh was a very popular leader in the 1930s. Jawaharlal Nehru uses the word ‘amazing’ to describe the popularity of Bhagat Singh. Pattabhi Sitaramayya, the official historian of the Indian National Congress, confirms that Bhagat Singh was as widely known all over India and as popular as Gandhiji. He was an idol of the youth and a household name, which aroused admiration and respect.

मेरे देश के असली हिरों जिन पर मुझे हमेशा गर्व रहता हैं जय हिन्द् जय माँ भारती !!

कभी ठंड में ठिठुर के देख लेना ,

कभी तपती धुप में जल के देख लेना,

कैसे होती हैं हिफाजत मुल्क की,

कभी सरहद पर चल के देख लेना,

कभी दिल को पत्थर कर के देख लेना,


कभी अपने जज्बातों को मार के देख लेना,


कैसे याद करते हैं मुझे मेरे अपने, 

कभी अपनों से दुर रह के देख लेना,

कभी वतन के लिये सोच के देख लेना,


कभी माँ के चरण चूम के देख लेना,

कितना मजा आता हैं मरने में यारों,

कभी मुल्क के लिये मर के देख लेना,

कभी शनम को छोड़ के देख लेना,

कभी शहीदों को याद कर के देख लेना,

कोई महबूब नहीं हैं वतन जैसा यारों,

मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना !!











मरना है तो वतन के लिए मरो...

कुछ करना है तो वतन के लिए करो..

अरे टुकड़ों में तो बहुत जी लिया..

अब जीना है तो मिल कर वतन के लिए जियो..